आज के अखबारों की सुर्खियों में उत्तर प्रदेश से आयी एक खबर- मुख्यमंत्री ने एलान किया है कि राज्य के करीब ४०3 एम एल ए २० लाख रुपये तक की कीमत की अपनी पसंद की कोई भी कार सरकारी खर्चे से खरीद सकता है। मैं अखिलेश यादव के इस फैसले से सहमत हूँ। जिस व्यक्ति को आप चुन के प्रदेश की सर्वोच्च संस्था में भेज रहे हैं, जो औसतन ४-६ लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, विधानसभा में जिसके ध्वनिमत से करोडों के बजट पास होते हैं, अगर उसे पजेरो या स्कार्पियो मिल जाती है तो कौन बड़ी बात है। एक छोटा शहर, कस्बा, तहसील या दो ढाई सौ गाँवों को मिला कर बनता है एक विधायक का क्षेत्र । क्षेत्र में घूमना भी पड़ता है । सामाजिक कार्यों में आना-जाना तो लगा ही रहता है । तो क्या सरकारी रोडवेज में 'विधायकों के लिए आरक्षित' सीट पर सफ़र होगा? अगर सरकार उसे सुविधा उपलब्ध नहीं कराएगी तो वो चोरी करेगा । ईमानदारी से विधायकी करना आसान नहीं है । साधारण आदमी का तो एक ही दिन में भेजा घूम जाय । कोई सड़क पे गिट्टी डालने के टेंडर के लिए चक्कर लगा रहा है, कोई किसी लायसेंस के लिए, कोई नौकरी के लिए, तो कोई बेटी की शादी के लिए दो बोरे चीनी के लिए उधम मचाये फिर रहा है । सबको मैनेज करना पड़ता है । फिर अपनी जात वालों के सही गलत कामों पे लीपा पोती । किसी को ना कहा वो ही मुँह फुला ले। जनता ने अपना काम निकलवाना है....मुठ्ठी गरम करने को तैयार रहती है । तभी तो.. एसे लोगों को सुविधायें दे देनी चाहिए- सरकारी खजाने में सेंधमारी खुद ब खुद कम हो जायेगी।
I am agree with you.
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