मंहगाई को झुठलाने के लिए सरकारें अक्सर आंकड़ों का खेल दिखातीं रही है। जीडीपी, इनफ्लेशन रेट, ग्रोथ रेट और न जाने क्या क्या। कोई समझ नहीं पा रहा है आखिर मंहगाई क्यूँ है।
आम जनता सरकार की यह दलील मानने को तैयार नहीं कि या तो मंहगाई है नहीं या कम हो रही है। सरकार ने बड़े से बड़े अर्थशास्त्री, प्लानर लगा रखे है परन्तु आम जनता पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा। सरकार पर यह कहावत एकदम सटीक बैठती है-- "सारा हिसाब ज्यूँ का त्यूं, फिर भी कुनबा डूबा क्यूँ?"
इस कहावत के पीछे की कहानी कुछ यूँ है-
एक गणित शास्त्री ने अपने परिवार के साथ नदी पार करने से पहले नदी की गहराई नापी तथा पूरे परिवार की लम्बाई का जोड़ निकाला। फिर इस नतीजे पर पहुंचा कि परिवार की औसत लम्बाई नदी की गहराई से ज्यादा है। तुरत-फुरत निर्णय ले वह गहरी नदी परिवार के साथ पार करने लगा परन्तु कुछ लोग डूब गए। उन्हें बचाने के चक्कर में बाकी भी बह गए। अब सवाल उठता है - सारा हिसाब ज्यूँ का त्यूं, फिर भी कुनबा डूबा क्यूँ?
इस कहावत के पीछे की कहानी कुछ यूँ है-
एक गणित शास्त्री ने अपने परिवार के साथ नदी पार करने से पहले नदी की गहराई नापी तथा पूरे परिवार की लम्बाई का जोड़ निकाला। फिर इस नतीजे पर पहुंचा कि परिवार की औसत लम्बाई नदी की गहराई से ज्यादा है। तुरत-फुरत निर्णय ले वह गहरी नदी परिवार के साथ पार करने लगा परन्तु कुछ लोग डूब गए। उन्हें बचाने के चक्कर में बाकी भी बह गए। अब सवाल उठता है - सारा हिसाब ज्यूँ का त्यूं, फिर भी कुनबा डूबा क्यूँ?
Ha Ha ...!!!
ReplyDeletehahahahaha....good one....
ReplyDeleteBahut badoya
ReplyDeleteउपयुक्त उदाहरण के लिए साधुवाद !
ReplyDelete"कुनबा डूबा क्यों?" सवाल किस पार्टी के लिए नहीं पूछा जा सकता है?
ReplyDeleteक्या कांग्रेस का कुनबा नहीं डूबा? मायावती का कुनबा? मुलायम का? लालू का? बंगाल में सीपीएम का कुनबा क्यों डूबा? ममता का भी डूबेगा! कौन डुबायेगा कह नहीं सकता, लेकिन डूबेगा।
राजनीति में यह सब चलता रहता है। जब भी सत्तासीन दल से अन्य दलों को अपने अस्तित्व पर खतरा दिखता है, वे अपने अस्तित्व के खातिर मिलकर सत्तासीन दल को अपदस्थ करते हैं। वे देशह्हित के लिए ऐसा नहीं करते; अपने हित साधते हैं। कुकुरमुत्तों की तरह उग रहे नित नये दल क्या देशहित के लिए अस्तित्व में आते हैं? क्या उनकी देशहित के बारे में सोच सकने की सामार्थ्य भी है? दो-दो चार-चार सांसद/विधायक जुटाने वाले देश के कोई हित नहीं साध सकते। वे सब अपने-अपने समुदायों को भ्रम में डालते हैं।
ऐसी तमाम बातों पर भी विचार करिए !
एकदम सही कहा आपने।
Delete1979 se jab congress satta main hoti hain, baki parties BJP ki chhatri ke neeche ekthe ho jate hain aur third party ki sarkar gira the jati hain. Issi tarah yadi BJP satta main hain toh congress ki chhatri ke neeche ikthe hokar sarka gira the jati hain. Jaise Drvrgowda, IK Gujral, Kejriwal aadi.
DeleteVery good reply
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