लंच के बाद ऑफिस की बिल्डिंग के बाहर खुली हवा में एक- दो चक्कर लगाने की आदत सी हो गयी है। कैम्पस के चारों तरफ काफी पेड़ भी हैं। आज अचानक एक पेड़ के नीचे टपके फलों को देखकर कदम ठिठक गए और बचपन याद हो आया।
बचपन में गर्मियों की छुट्टियों में प्रायः गाँव जाया करते थे। पोखर के पास ये बड़ा पीपल का पेड़ और आस-पास खूब सारे नीम और गूलर के पेड़ !! टीकाटीक दोपहरिया में वहाँ से हटने का जी ही नहीं करता था। उससे ज्यादा ठंडी हवा गाँव में और कहीं नसीब ही कहाँ थी? चारों तरफ जमीन पर बिखरे होते थे नीम की पकी हुयी निबौरियाँ और गूलर के फल....  और हवा में बिखरी होती थी उनकी खुशबू ।  सुर्ख लाल और पक कर टपके हुए गूलर के मुलायम फलों को जब दो टुकडों में चीरा जाता था तो उनमें से बीसियों छोटे-छोटे मच्छर जैसे कीड़े उड़ भागते थे। इन कीडों को उनकी इस प्राकृतिक कैद से रिहाई कराने में मजा भी बहुत आता था। जो बच गए उन्हें फूँक मार कर उड़ा दिया और मीठा गूलर सीधा मुँह के अन्दर!!! उस समय सोचते थे कि इस फल में कहीं कोई छेद नहीं, कहीं से कटा नहीं, फटा नहीं, तो आखिर इसमें इतने सारे कीड़े घुस कैसे गए ??   
गूलर यानी फिग (Fig) जिसे बहुत से लोग अंजीर के नाम से भी जानते हैं, मई जून के गर्म मौसम में फलता है। मूल रूप से अरब देशों से आई यह प्रजाति भारत के गर्म हिस्सों में पायी जाती है।  बड़ा ही विचित्र सम्बन्ध होता है वनस्पतियों और प्राणियों में । गूलर और इन कीडों (Fig Wasp) में तो यह और भी अद्भुत है । अगर एक नहीं तो दूसरा भी नहीं ।
पराग कणों (pollen grains) से लदी हुयी मादा fig wasp अंडे देने के लिए गूलर के फूल में प्रवेश करती है और अंडे देने के तुरंत बाद मर जाती है । उसके द्वारा लाये गए पराग कणों से फूल निषेचित हो जाता है और नए बीज का निर्माण शुरू हो जाता है । इसके साथ उस फल के कुछ galls में wasp के लार्वा भी पनपने लगते हैं । सबसे पहले नर लार्वा विकसित होते हैं जो कि फल के अन्दर ही मादा को fertilize कर देते हैं । गूलर के फल के पक जाने पर नर wasp अपनी साथी को फल से बाहर निकलने का रास्ता बनाने के लिए एक सुरंग खोदना शुरू कर देता है।  नर wasp जिसके पर नहीं होते बाहर आकर मर जाता है।  मादा उस सुरंग  के रास्ते बहार आकर उड़ जाती है - अंडे देने के लिए किसी और फूल की तलाश में...। जाते जाते मादा अपने साथ उस फल से पराग (pollen) साथ ले जाती है जिससे नए गूलर के बीज का भी निर्माण हो सके ।  अगर मादा बिना पराग लिए कहीं अपने अंडे दे देती है तो गूलर का पेड़ उस unfertilized फल को त्याग देता है और उसमें पल रहे लार्वा मर जाते हैं । है ना अद्भुत संगम जूलोजी और बौटानी का... !!!!

