Thursday 20 March 2014

रानी

आप कई ऐसी लड़कियों को जानते होंगे, जिन्होंने अपने थोड़े प्रोग्रेसिव परन्तु थोड़े सामंती (फ्यूडल) पैरेंट्स से लड़ाई लड़ी, जो अपने घरों से बाहर निकलीं, दूसरे शहरों में पढ़ने गईं, अच्छी-बुरी  नौकरी की, पैसा कमाया। सारे सामंती रिश्तों को कहा, ''आउट''। लेकिन उस लड़के को सालों-साल तक नहीं कह पाईं, ''आउट'', जिससे वो प्रेम करने लगी थीं। उनमें प्रेम पाने की ऐसी अदम्य कामना थी, जो मां-पापा और घर के तमाम प्यार करने वाले लोग पूरी नहीं कर सकते थे। वो सारी कामनाएं, जो वो लड़का पूरी करता था, लेकिन वो भी बाकी हर मामले में बहुत सामंती और कंट्रोलिंग था। लड़कियां उसे नहीं कह सकीं, ''आउट''।

हाल ही में  "क्वीन" देखी। बक़ौल रानी, उसने कभी किसी को किसी चीज के लिए ना नहीं कहा। ना माँ-बाप से और ना मंगेतर से।  उनकी हर बात मानी। लेकिन फिर एक दिन घर से निकली दुनिया देखी और तमाम सामंती रिश्तों को बोला 'आउट' ....!!!

  

सभी लड़कियों को अपनी पहली फुर्सत में  या कहूँ तो  उससे भी पहले समय निकाल कर यह फ़िल्म देख आनी चाहिए। राजौरी गार्डन से लेकर छपरा, मोतिहारी, बस्‍ती, लखीमपुर खीरी तक की सब लड़कियों में एक रानी है। सब ढूंढो अपनी-अपनी रानी को, अपनी जिंदगानी को। हिंदुस्तान के सभी मर्दों से अनुरोध है कि वो भी जायें   … सब के सब ....  बाप, भाई , हस्बैंड, बॉयफ्रेंड  ख़ास तौर पर वो फ्यूडल खाविंद जो शादी के तुरंत बाद अपनी ब्याहता का सरनेम बदलना ऐसे जरूरी समझते हैं जैसे कोई संपत्ति-जायदाद खरीदने के बाद कागज़ात पर अपने नाम की रजिस्ट्री।